yellowness in wheat: गेहूं की खेती भारत के उत्तरी राज्यों से लेकर दक्षिण राज्यो एवम् पूर्वी भारत से पश्चिमी राज्यों में की जाती है, लाजमी है कि जब संपूर्ण भारत में इसकी खेती की जाती है तो भारत में इसकी खेती भी अधिकतर हिस्सों में की जाती है, लोगों के खाने में भी गेहूं से रोटी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाति है इसलिए मांग भी हमेशा बनी रहती है, इसलिए गेहूं की पूर्ति हेतु किसान अपने खेतों में गेहूं की की पैदावार बढ़ाने हेतु अनेक प्रकार के कार्य करते हैं, परंतु फिर भी अनेक प्रकार के रोग गेहूं को खराब कर देते हैं,
yellowness in wheat । गेंहू में पीलापन रोग
Wheat agriculture in India: गेहूं में अनेक प्रकार की बीमारी एवम् कीट रोग लग जाते है ऐसे में किसान साथी उचित मात्रा में खाद एवम् उर्वरक का इस्तेमाल एवम् कीट नियंत्रण हेतु उपाय कर सकते है, वही सर्दी के मौसम में सबसे बड़ी समस्या गेहूं की फसल में पीलापन (yellowness in wheat) आना बन रहा है, इसलिए आज के लेख में हम गेहूं में पीलापन को रोकने के उपाय जानेंगे, कैसे गेहूं के पीलापन को रोके तो चलिए जानते हैं आज के इस लेख में विस्तार से ताकी इस रोग से मुक्ति पा सके एवम गेहूं की अधिक पैदावार ली जा सकें तो चलिए बिना समय गंवाए जानते हैं संपूर्ण जानकारी….
Wheat Agriculture: गेहूं का उत्पादन
चावल के बाद भारत में गेहूं का सबसे अधिक क्षेत्र में बोई जाने वाली फसल है, भारत में इस समय गेहूं का उत्पादन संपूर्ण भारत में होता है यानी इसकी खेती सभी राज्यों में होती है, विश्व में भारत गेहूं उत्पादन में चीन के बाद दूसरा स्थान रखता है जो विश्व का तकरीबन 12.5 प्रतिशत उत्पादन देता है, परंतु प्रमुख उत्पादक राज्यों में उतरी राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ गुजरात आदि का स्थान आता है, सबसे अधिक गेंहू उत्पादन उतर प्रदेश, दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश इसके बाद पंजाब, हरियाणा , राजस्थान बिहार का क्रमश स्थान है।
गेहूं की फसल में पीलापन (yellowness in wheat) एवम् इसके उपाय
गेहूं में पीलापन (yellowness in wheat) आने का अनेक कारण हैं, जिसमें खाद की कमी एवम् उर्वरक की उचित मात्रा का न मिलना, या नमी की कम या अधिक मात्रा आदि हो सकते हैं इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि वैज्ञानिक Dr OP बिश्नोई द्वारा किसानों को सलाह दी है जिस उपाय को करके किसान साथी अपनी फसल को पीलापन से बचा सकते है, एवम् गेहूं उत्पादन (wheat production) में बढ़ोतरी कर सकते है, इसके बारे में चलिए जानते हैं कारण एवम् उपाय क्या करे।
किसान साथियों जानते हैं गेहूं में पीलापन ( yellowness in wheat) किस कारण आता है, इसके क्या क्या लक्षण है, कोन सी खाद एवम् दवा का पीलेपन को हटाने के लिए करें ताकी अच्छा उत्पादन किसान साथी ले सके…
yellowness in wheat । गेंहू में पीलापन का कारण?
अनेक प्रकार से गेहूं की फसल में पीलापन (yellowness in wheat) आ सकता है इसके कई स्तर होते हैं जैसी सिंचाई के कारण, उर्वरक की कमी, मिट्टी में पोषण की कमी या अन्य प्रकार तो चलिए विस्तार में कृषि वैज्ञानिक क्या कहते हैं जानते हैं….
पहली सिंचाई के बाद गेहूं में पीलापन yellowness in wheat
कई बार गेहूं की फसल में पहली सिंचाई करने के बाद पीलापन की शिकायत देखने को मिलती है, इसका प्रमुख कारण कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं एवं धान में फसल चक्र का सही से इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिसके कारण भी है समस्या आती है, हालांकि इसका प्रमुख कारण कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि गेहूं की बुवाई के समय किसान डीएपी का तो इस्तेमाल कर देते हैं, परंतु अन्य पोषक तत्व जैसे यूरिया, जिंक आदि का इस्तेमाल नहीं करते, जिसके कारण धान की फसल कटाई कर लेता है परंतु पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं, इसकी भरपाई के लिए यूरिया एवं जिंक का भी इस्तेमाल करके किस साथी पीलेपन को खत्म कर सकते है।
ऐसे में धान में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ जैसे पराली आदि को सोखने हेतू नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है परंतु, तुरंत बाद जमीन में मोजूद नाइट्रोजन को सोख लेती है, जिसके कारण नाईट्रोजन खत्म हो जाता है, ऐसे में गेहूं की फसल में यूरिया की आवश्यकता पड़ती है, परंतु किसान साथी उसमे बुवाई के समय यूरिया नही देते जिसके कारण पहली सिंचाई के बाद गेहूं में पीलापन (yellowness in wheat) आने लगता है, यानी पौधे को नाइट्रोजन की कमी के कारण पत्तियां पीला पड़ना स्वाभाविक है,
पीलापन के उपाय । yellowness in wheat
यदि पहली सिंचाई के बाद भी कई बार गेहूं की फसल में पीलापन (yellowness in wheat) दिखाईं देता है तो किसान साथी बुवाई करते समय ही डीएपी खाद के साथ 50 किलो यूरिया रासायनिक खाद अवश्य डाले जो उसमे नाईट्रोजन की पूर्ति करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके अतिरिक्त किसान साथी प्रति एकड़ के हिसाब से 10 किलो जिंक सल्फेट का भी इस्तेमाल अवश्य करें, क्योंकि जिंक सल्फेट गेहूं में फुटाव हेतु उपयुक्त होती है। ऐसा करने के कारण पहली सिंचाई के वक्त गेहूं में पीलापन की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
ध्यान देने योग्य बातें:- किसान साथियों को सलाह दी जाती है कि, गेहूं में पीलापन आदि की समस्या आती है तो उचित मात्रा में खाद एवम् उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए ताकि अपने उत्पादन को बढ़ा सके, इसके अतरिक्त किसान साथी यदि गेहूं में पीलापन दिखाईं दे तो एक साथ यूरिया एवम् जिंक का भी इस्तेमाल कर सकते है, इससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। वही यदि बालियां निकलने लगे तो किसान साथी खाद की बजाय स्प्रे करें।
कृषि विश्वविद्यालय द्वारा समय समय समय गेहूं की फसल में अनेक प्रकार के रोग एवम् उनके उपचार की जानकारी दी जाती है। अतः किसान साथी कृषि विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार उचित उपचार जरुर करे, एवम् उनका पालन करे ताकी अपनी उपज में वृद्धि कर सके, इसके अतरिक्त हमारे द्वारा भी समय समय पर कृषि विभाग के अनुसार उपाय बारे जानकारी दी जाती है।
Disclamair: किसान साथियों आपकी अपनी वैबसाइट www.apniaawaj.com पर समय समय समय कृषि जगत की खबरे, किसान योजनाएं, मंडी बाजार भाव, मनोरंजन, खेल, खेती बाड़ी से संबंधित जुड़े मुद्दे आदि की जानकारी प्रकाशित की जाती है, ताकि किसान साथी अपनी आमदनी को बढ़ा सके, किसान साथियों हमारे द्वारा दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है, जिसके माध्यम से हम आपके लिए सरल भाषा में पहुंचाते हैं ताकी किसानो को समझ आ सके, एवम् इसके पीछे गहन अध्ययन किया गया है।