मूंग की फसल एक दलहनी फसल है, जिसमे 23 से 24 फीसदी तक प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के अलावा कैल्शियम, आयरन, विटामिन भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, मूंग का उपयोग दाल के अतिरिक्त नमकीन, पपड़ी एवं मिठाइयों में भी किया जाता है। वैसे तो इसकी बुवाई सभी मौसम में की जाती है परंतु इस समय ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। वैसे मूंग की खेती सभी सीजन में कर सकते हैं।
मूंग की फसल में ऐसे करे खरपतवार नियंत्रण
देशभर के कई राज्यों राजस्थान हरियाणा बिहार यूपी गुजरात में बड़े पैमाने पर मूंग की खेती की जाती है मूंग में कई प्रकार के कीट रोगों एवं खरपतवारों से फसल में काफी हानि होती है, इनमें सबसे अधिक हानि की बात करें तो खरपतवार पहुंचते हैं, इनके कारण फसलों और खरपतवारों के मध्य पोषक तत्वों, पानी, स्थान, प्रकाश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है, एवं उत्पादन में गिरावट का प्रमुख कारण बनते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक यदि सही समय पर खरपतवार नियंत्रण नहीं किया जाता तो मूंग की फसल उत्पादन में तकरीबन 40 से 60 फ़ीसदी तक कमी हो सकती है खरपतवारों की बात करें तो खरीफ मौसम में संकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे दूब घास सवा एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे कनकवा पत्थरचट्टा महकुआ सफेद मुर्ग हजार दाना एवं लहसुआ तथा मौथा आदि प्रमुख रूप से मिलते हैं किसान खरपतवार नियंत्रण हेतु 30 से 35 दोनों के बाद इसमें नीति गुड़ाई अवश्य करें।
वेल नामक यंत्र द्वारा यह कार्य आसानी से कतार में फसल में कर सकते हैं क्योंकि मौसम में लगातार वर्षा होने एवं निराई गुड़ाई हेतु समय नहीं मिल पाने के कारण अधिक श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है स्थिति में किस साथी निंदा नियंत्रण के लिए निंदानाशक रसायन का छिड़काव खरपतवार नियंत्रण हेतु कर सकते हैं।
इन कीटनाशी दवाओं का उपयोग करे
किसान साथी खरपतवार नाशक दावों की छिड़काव हेतु हमेशा फ्लैट फन नोजल का इस्तेमाल ही करें वहीं जिला पौधा संरक्षण निर्देशक सुजीत नाथ मलिक कहते हैं कि पेन्डिमिथिलीन नामक केमिकल 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई के 0-3 दिन के अंदर छिडकाव करने से खरपतवार से मुक्ति पा सकेंगे।
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