किसान भाइयों मूंग की फसल में सिंचाई का बहुत महत्व है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करते समय यह फसल पानी/सिंचाई पर निर्भर करती है, ऐसे में किसानो के सामने मूंग की खेती हेतु कीतना पानी दे एवम् बुवाई के कितने दिन बाद सिंचाई करें ताकी अच्छी पैदावार ले, इसके लिए किसानो को काफी ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इस लेख में संपूर्ण जानकारी ताकी मूंग की फसल से अच्छी पैदावार ले सके।
मूंग की फसल में पानी / सिंचाई कितनी करें
मूंग में सिंचाई कितनी करें या कीतना पानी दे इसके लिए किसान भाइयों बता दें कि ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती सिंचित अवस्था में उगाई जाने वाली फसल है। हालांकि यह फसल जलभराव के प्रती स्वेंदनशील भी है। ऐसे में किसानो को अन्य फसलों की बजाय ढालयुक भूमि एवम् लेजर लेवल का इस्तेमाल भूमि पर मूंग की खेती करके अच्छा लाभ ले सकते है।
प्रक्षेत्र में सिंचाई के बाद तुरंत जल की निकासी ढाल के झुकाव की तरफ़ करना आवश्यक है ताकी पानी की निकासी होती रहे एवम फसल में पानी का ठराव ज्यादा ना हो। इसके अतिरिक्त मूंग की खेती में फली में दाना पड़ने के समय पर खास सिंचाई का प्रबंधन करना अति आवश्यक है। इसका कारण यह है कि पकते समय पानी की मात्रा पकने के समय में बढ़ोतरी का कारण बन सकती है।
इस समय मूंग में मिट्टी की जल ग्रहण क्षमता एवम् मौसम की स्थिति को देखकर किसान साथी ग्रीष्मकालीन बुवाई में 3 से 4 पानी सामान्य तौर पर दे सकते है। वही बात करें पहली सिंचाई की तो बुवाई के बाद 20 से 25 दिन बाद एवम् दूसरी सिंचाई इसके 10 से 15 दिन बाद करे ताकि बढ़ोतरी अच्छी हो।
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