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किसान गर्मियों में भी कर सकते हैं उड़द की खेती.. बंपर पैदावार हेतु करे ये उपाय, जाने उन्नत किस्में एवं पानी की मात्रा

Urad ki kheti | इस समय किसान 2 नहीं बल्कि 3 फसलों की खेती करने लगे हैं, क्योंकि उत्पादन बढ़ाने हेतू अधिक से अधिक फसल की खेती करने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए किसानों द्वारा अलग अलग मौसम में भी इनकी खेती करने लगे हैं।

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इससे पहले किसान बरसात के मौसम में ही उड़द की खेती करते थे , परंतु अब वह गर्मियों के मौसम में इसकी खेती कर रहे हैं, इस समय किसानों द्वारा कई क्षेत्रों में चना मसूर एवं गेहूं की कटाई कर चुके हैं या कर रहे हैं, इसके बाद खाली पड़ी जमीन पर अच्छे पानी एवं सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्र में आसानी से उड़द की खेती करके अच्छा लाभ ले सकते है। अधिक कमाई हेतू किसानों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिसके कारण मोटी कमाई की जा सकती है।

Urad ki kheti । अतिरिक्त लाभ हेतू किसान गर्मियों में उगाए उड़द

कृषि विभाग के अनुसार उड़द की खेती करने के लिए उपयुक्त नहीं की आवश्यकता बनी रहती है, यदि नमी की मात्रा गर्मियों में कम हो उस समय किसान इसमें 8 से 10 दिन के भीतर सिंचाई करके पानी की मात्रा की पूर्ति कर सकते हैं। इसके अलावा दूसरा प्रमुख ध्यान रखने योग्य यह है कि गर्मियों के मौसम में उड़द की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप भी बढ़ जाता है, इसके लिए किसान कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करके इनपर नियन्त्रण पा सकते हैं।

गर्मियों में उड़द की खेती के बारे में सागर कृषि विज्ञान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर आशीष त्रिपाठी का कहना है कि बीते 2 से 3 वर्षों में बारिश के समय बोई जाने वाली फसल की झाड़ अच्छी नहीं आ रही, ऐसे में किसान उड़द की खेती हेतू गर्मियों में इसको विकल्प के रूप में चुनाव कर सकते हैं। बुवाई का उपयुक्त समय मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के आरंभ में इसकी बुवाई कर सकते हैं।

गर्मियों में उड़द की खेती हेतु उन्नत किस्में

किसान गर्मियों के मौसम में उड़द की खेती हेतू उन्नत किस्मों का चुनाव कर सकते हैं, कृषि विभाग के अनुसार किसान इस समय बुवाई हेतू IPU 02-43, आईपीयू 94-1 किस्म, इंदिरा उड़द प्रथम, केयू 96-3, शेखर 3 (केयू 309), प्रताप उड़ई-1 किस्म, बीएम-4 किस्म का चुनाव कर सकते हैं। क्योंकि ये सभी किस्में मोजैक प्रतिरोधी किस्म है, एवं इन बीज में पीला म्यूजिक की समस्या नहीं आती है।

कृषि विभाग का कहना है कि यदि किसान उड़द की बुवाई पहली बार कर रहा है तो वह प्रति एकड़ के अनुसार 10 से 12 किलो बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। वही बुवाई से पहले बीज का फफूंदनाशी से बीज उपचार करें, इसके अलावा किसान कीटनाशी के लिए एमिडाक्लोरोपिड या थाइमाथोकजाइम 48% से उपचार करें, जिससे सफेद मक्की का प्रकोप फसल में नहीं पनपेगा।

उड़द में खाद एवं बीज की मात्रा

किसान उड़द की अधिक पैदावार हेतु उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक का विशेष ध्यान रखें, इसके लिए किसान बुवाई के समय दो बोरी सिंगल सुपर फास्फेट 10 किलोग्राम पोटाश एवं 10 से 12 किलोग्राम यूरिया डाल सकते हैं, यदि इसका प्रयोग नहीं करते तो आप इसके स्थान पर 25 किलोग्राम डीएपी और 10 किलोग्राम पोटाश खेत में डाल सकते हैं। जिसके बाद अच्छे से जुताई कर सकते हैं।

किसानों के पास यदि 2 पेटी युक्त सीड ड्रिल है तो आप इसमें अलग अलग खाद एवं बीज का इस्तेमाल करके बुवाई करे। कृषि विभाग के अनुसार बुवाई के 8 से 10 दिन के अंतराल पर इसमें सिंचाई क्रमवार कर दे। अधिक पैदावार हेतु कुल सिंचाई 5 तक की आवश्यकता होती है। जिसके बाद यह फसल पककर तैयार हो जाती है।

अनुमान के मुताबिक गर्मी के दौरान उड़द की पैदावार 6 से 8 क्विंटल तक देने में सक्षम मानी जा रही है। जिसका बाद में आप बरसाती मौसम के दौरान की जाने वाली रुड़की कृषि हेतू बीज भी तैयार कर सकते हैं। वही यह फसल 70 दिन में लगभग पककर कटाई हेतु तैयार होने में समय लेती है।

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