कृषि क्षेत्र में आय बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा अनेक प्रयास किया जा रहे हैं। इसी बीच सरकार कॉटन ( Cotton) किसानों को ₹16000 की सब्सिडी देने जा रही है। जिससे किसानों को फायदा हो।
भारत देश की बहुत बड़ी क्षेत्र पर कपास की खेती का कार्य हो रहा है। बता दे कि अमेरिका, ब्राजील व ऑस्ट्रेलिया देश की तुलना में भारत में कम उत्पादन बना हुआ है। भारत के लगभग 1.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर कॉटन (cotton)की खेती हो रही है। अन्य देश के किसान सटीक जानकारी व जैव प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में महाराष्ट्र राज्य जहां पर लगभग 40 लाख हेक्टेयर कॉटन की खेती की जाती है, वे किस भी उत्पादकता के लिए संघर्षील है।
उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिकों, नीति निर्माता व उद्योग जगत ने विज्ञान के आधार पर जोर दिया है। कपास की पैदावार को बढ़ाने के लिए नागपुर में आयोजित आईसीआर राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने हाई डेंसिटी प्लाटिंग सिस्टम को बढाने पर बोल दिया है। जिससे कॉटन की उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके।
HDPS तकनीक से कॉटन उत्पादन में होगी बढ़ोतरी
नागपुर में आयोजित हुई आईसीआई राष्ट्रीय कार्यशाला (केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान) में सहयोग नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, व फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजन किया गया। एचडीपीएस तकनीक के द्वारा विशेषज्ञों का मानना है कि प्रति एकड़ के हिसाब से पौधों की संख्या में बढ़ोतरी की जा सकती है। इसके द्वारा मशीनरीकरण को बढ़ावा मिलेगा व उत्पादन में भी सुधार होगा।
इस तकनीक के द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ श्रमिकों की निर्भरता कम हो जाएगी व आय में भी बढ़ोतरी होगी। ICAR-CICR Dr.Y.G. प्रसाद निदेशक नागपुर ने बताया कि HDPS तकनीक देश की कॉटन क्षेत्र में बदलाव की और एक अहम कदम है। जिससे कपास उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
HDPS तकनीक क्षेत्र भूमि
महाराष्ट्र राज्य में एचडीपीएस तकनीक को अपनाया जा चुका है। बता दे की राज्य की 16000 एकड़ भूमि पर इस से तकनीक कार्य कर रहे हैं। सार्वजनिक निजी भागीदारी कि पहले से यह योजना चलाई जा रही है। इसके तहत केंद्र सरकार के कृषि व कपड़ा मंत्रालय, CICR व 10 निजी बीच कंपनियां जुड़ी है। महाराष्ट्र में इस योजना से 6664 किसान सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं।
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प्रोत्साहन राशि 16000 रुपये
सरकार के द्वारा एचपीएस तकनीक को अपनाने के लिए ₹16000 पड़ती हेक्टेयर के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। जिससे यह तकनीक सहायक सिद्ध हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इस तकनीक के द्वारा 30 से 35% तक कॉटन उत्पादन में वृद्धि होगी इसके अलावा बूम स्प्रेयर, मैकेनिकल पीकर और। न्यूमेटिक प्लांटर जैसे उन्नत उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। मशीनीकरत कटाई को भी इसमें संभव बनाता है।
बीटी कॉटन में हो नवाचार
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बीटी कपास के बीज में भी नवाचार की आवश्यकता है। डॉक्टर एम रामास्वामी राशि सीड्स अध्यक्ष ने कहा की बीटी कपास उत्पादन में बढ़ोतरी व उसको बनाए रखा हैं। लगातार बढ़ रही कीटनाशक में किट की बढ़ रही समस्या को मध्य नजर रखते हुए इसमें नवाचार की आवश्यकता है। वैश्विक कॉटन उद्योग के द्वारा उन्नत की प्रबंधन नीति को अपनाया है। यह तकनीक भारतीय किसानों तक भी पहुंचनी चाहिए।
महाराष्ट्र राज्य में कपास मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए तकनीक वस्त्र मिशन ( MTM) लगातार कार्य कर रहा है। इस क्षेत्र में प्रदेश के 30 से 40 लाख किसानों का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इससे उत्पादन में न केवल बढ़ोतरी साथ ही वस्त्र उद्योग के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा।
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